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"कौओं की गिनती का रहस्य" कहानी में राजा विक्रम अपनी सभा में एक सवाल पूछते हैं—शहर में कितने कौए हैं? कोई जवाब नहीं दे पाता, लेकिन चतुर वीरसेन एक मनगढ़ंत संख्या, 32,456, बताकर कहते हैं कि अगर ज़्यादा हों तो कौए बाहर से आए होंगे, और कम हों तो बाहर गए होंगे। राजा उनकी चतुराई से खुश होकर इनाम देते हैं। (Akbar Birbal Story Paraphrase, Hindi Moral Tale)
कहानी: राजा विक्रम और चतुर वीरसेन (The Story: King Vikram and the Clever Veersen)
एक बार की बात है, राजा विक्रम अपनी सभा में बैठे थे। उनके दरबार में बड़े-बड़े विद्वान और मंत्री मौजूद थे। अचानक राजा के मन में एक अजीब सवाल आया। उन्होंने सभा में सभी को देखते हुए पूछा, "बताओ, हमारे शहर में कुल कितने कौए होंगे?" यह सवाल सुनकर सारे दरबारी हैरान रह गए। कोई हँसने लगा, तो कोई सोच में पड़ गया। किसी को समझ ही नहीं आया कि इसका जवाब कैसे देना है।
तभी दरबार में वीरसेन आए। वीरसेन राजा के सबसे चतुर सलाहकार थे। उन्होंने देखा कि सभा में सन्नाटा छाया हुआ है। उन्होंने राजा से पूछा, "महाराज, क्या बात है? सब इतने चुप क्यों हैं?" राजा ने हँसते हुए कहा, "वीरसेन, मैंने एक सवाल पूछा है—हमारे शहर में कितने कौए हैं? कोई जवाब नहीं दे पा रहा। तुम्हारे पास कोई जवाब है?"
वीरसेन ने एक पल सोचा और फिर मुस्कुराते हुए बोले, "महाराज, हमारे शहर में ठीक 32,456 कौए हैं।" यह सुनकर सभा में मौजूद सभी लोग हैरान रह गए। एक मंत्री ने पूछा, "वीरसेन, तुम इतने यकीन से कैसे कह रहे हो? क्या तुमने गिनती की है?"
वीरसेन ने शांत स्वर में जवाब दिया, "महाराज, आप अपने सैनिकों को भेजकर कौओं की गिनती करवा लीजिए। अगर इससे ज़्यादा कौए मिलें, तो समझ लीजिए कि कुछ कौए अपने रिश्तेदारों से मिलने बाहर से आए होंगे। और अगर कम मिलें, तो समझिए कि हमारे शहर के कुछ कौए अपने रिश्तेदारों से मिलने पास के गाँव गए होंगे।"
राजा की खुशी और वीरसेन का सम्मान (King Vikram’s Delight and Veersen’s Honor)
वीरसेन का जवाब सुनकर राजा विक्रम जोर-जोर से हँसने लगे। उन्होंने कहा, "वीरसेन, तुम्हारी बुद्धि का कोई जवाब नहीं! तुमने न सिर्फ़ जवाब दिया, बल्कि उसकी ऐसी दलील दी कि किसी को शक की गुंजाइश ही नहीं रही।" सभा में मौजूद सभी दरबारियों ने तालियाँ बजाकर वीरसेन की तारीफ़ की।
राजा विक्रम ने वीरसेन को इनाम में एक सोने की माला और एक कीमती हीरे का हार भेंट किया। उन्होंने कहा, "वीरसेन, तुमने आज एक बार फिर साबित कर दिया कि तुम्हारी चतुराई हमारे दरबार की शान है।" वीरसेन ने सिर झुकाकर राजा का आभार माना और बोले, "महाराज, यह सब आपकी कृपा है।"
उस दिन के बाद गाँव में यह बात फैल गई कि वीरसेन ने राजा के सवाल का कितना चतुर जवाब दिया। बच्चे-बड़े, सभी इस कहानी को सुनकर हँसते और वीरसेन की तारीफ़ करते। (Kaue Ki Ginti Story, Cleverness Moral Tale)
सीख (Moral of the Story)
बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी सवाल का जवाब देना जितना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी उस जवाब को सही ढंग से समझाना भी है। वीरसेन ने अपनी चतुराई से न सिर्फ़ जवाब दिया, बल्कि उसे इस तरह पेश किया कि सब मान गए। हमें भी अपने जवाबों को तर्क के साथ पेश करना चाहिए। चतुराई और समझदारी से हर सवाल का हल निकाला जा सकता है। (Lesson on Cleverness, Motivational Story for Kids)
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